रक्षा और स्नेह का पर्व रक्षाबंधन 2024, श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन, 19 अगस्त को मनाया जा रहा है। यह दिन बहन और भाई के अटूट प्रेम और एक-दूसरे की रक्षा के वचन को समर्पित है। इस पवित्र पर्व पर बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं, और भाई उन्हें जीवन भर सुरक्षा का वचन देते हैं।
रक्षाबंधन की प्रचलित कथाएं
कृष्ण और द्रौपदी का रक्षाबंधन: महाभारत के समय की एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण की अंगुली में चोट लग गई थी, द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनकी अंगुली पर बांध दिया था। इस घटना को रक्षाबंधन की परंपरा की शुरुआत माना जाता है। जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था, तब कृष्ण ने उनकी रक्षा कर इस बंधन का सम्मान किया था।
युधिष्ठिर और सैनिकों का रक्षाबंधन: महाभारत के युद्ध के दौरान, युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण के कहने पर अपने सभी सैनिकों को रक्षा सूत्र बांधा, जिससे उनकी विजय सुनिश्चित हो गई। यह घटना श्रावण पूर्णिमा की थी, और इसी दिन को रक्षाबंधन के रूप में मनाया जाने लगा।
राजा बलि और मां लक्ष्मी का रक्षाबंधन: एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, राजा बलि ने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि वे उनके साथ पाताल में रहें। मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु की वापसी के लिए चिंतित थीं, और उन्होंने एक गरीब महिला का रूप धरकर राजा बलि को राखी बांधी। राखी के बदले में राजा बलि ने भगवान विष्णु को मां लक्ष्मी के साथ वापस भेज दिया।
इस रक्षाबंधन पर भाई-बहन का बंधन और भी मजबूत करें
रक्षाबंधन का यह पर्व न केवल भाई-बहन के रिश्ते को सुदृढ़ करता है, बल्कि इसे प्रेम, समर्पण, और विश्वास की डोर से बांधता है। इस साल 2024 में, यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को और भी अधिक स्नेहपूर्ण और यादगार बनाने का एक अनूठा अवसर है।